गुणकारी पत्तियां

सृष्टि में यदि खाद्य पदार्थों पत्तियों में क्लोरोफिल नामक मिलाकर स्वादिष्ट जूस लेना की बात करें तो ईश्वर ने तत्व पाया जाता है जो शरीर में सर्वोत्तम है। यह शोधक भी है सर्वप्रथम पत्तियों का सृजन किया रोगों से लड़ने की क्षमता पैदा और अनेक आवश्यक तत्वों की मानो ईश्वर मनुष्य को संकेत करता है। यदि आपके शरीर में पूर्ति करता हैसीजनल होने दे रहा हो कि मैंने तुम्हारे भोजन यह तत्व रहेगा तो कोई भी के कारण सस्ता भी हैंकी पहली खुराक तुम्हें दे दी संक्रामक रोग आप पर आसानी दोपहर के अपक्वाहार के है। वास्तविकता है कि हमारे से आक्रमण नहीं कर सकेगासाथ भी उपरोक्त वर्णित 3-4 भोजन में यदि पहली खुराक बात चाहे क्लोरोफिल की हो तरह की पत्तियों को मिलाकर पत्तियों की हो सके तो स्वास्थ्य आयोडिन की अथवा अन्य स्वादिष्ट चटनी का सेवन अति की ओर उठने वाला यह पहला खनिज लवणों की, ये सारे तत्व लाभकारी है। कदम साबित हो सकता है। आग पर चढ़ने से नष्ट हो जाते जाडों के मौसम में विशेष विचारणीय है कि हमारे हैं। अतः उत्तम है कि इसका रुप से पालक भनिया मेथी सभी देवताओं का पूजन भी उपयोग आग पर चढ़ाए बिना बथआ आदि को पीसकर आटे पत्तियों से किया जाता हैक्यों? ही करना चाहिए। के साथ मिलने का रिवाज भी क्योंकि यही उचित हैदेवताओं व्यवहार में पहली खुराक इसीलिए बनाया गया है ताकि में प्रथम पूज्य गणपति जी के रूप में आसानी से उपलब्ध पत्तियों का पूरा लाभ मिल सके। महाराज का पूजन दूर्वा से किया कुछ हरी पत्तियां जैसे-धनिया, डाक्टर शरीर में कैल्शियम जाता है, दूर्वा के बिना गणेश पोदीना, पालक, मूली के पत्ते, की पूर्ति हेतु दूध का सेवन करने जी मोदक का भोग स्वीकार कढ़ी पत्ता, बेल पत्र, तुलसी, की सलाह देते हैं। यह सत्य है नहीं करतेइसी प्रकार विष्णु दूर्वा आदि को धोकर, पानी कि दूध में कैल्शियम तो है किंतु भगवान का भोग तुलसी पत्र मिलाकर मिक्सी में पीसकर छान दध में यरिक एसिड तथा तथा शिव जी का भोग बेल पत्र लेंइसी के साथ कुछ हरा कोलेस्ट्रॉल शरीर को रोगी बनाते के बिना सम्भव नहीं है। ऐसा आंवला, खीरा, लौकी आदि भा हैं। दध की शदता भी आज के इसीलिए विधान बनाया गया डाल लें। स्वाद के लिए मौसम यग में पूर्ण रूप से संदिग्ध ही जिससे मनुष्य भी इससे सीख के अनुसार कोई मीठा फल जैसे हैजिस जानवर का दध हम त्तयों सब या गाजर आदि भा मिला पीते हैं उसकी शारीरिक रुग्णता को प्रथम स्थान दे। सकते हैं।