झटका करंट से फसलों की हिफाजत कीसानो ने की नई तकनीक ईजाद

झटका करंट से फसलों की हिफाजत


कीसानो ने की नई तकनीक ईजाद


आठनेर तहसील के महाराष्ट्र सीमा से सटे दर्जनों ग्रामो के कीसान वर्षो से जंगली जानवरों द्वारा फसलों को नुकसान पहुचाने से कर्ज में डूब जाते थे।हालांकी यह सीमावर्ती बेल्ट ऑरेंज एरिया भी कहलाता है जिसे जंगली जानवर काफी नुकसान पहुचाते रहते थे उनसे निजात पाने के लिए अब कुछ कीसानो ने नई तकनीक ईजाद कर ली है जिसे झटका करंट कहते है उसके बलबूते अपनी फसलों को महफूज करने की दिशा में लाभदायक दिखने की वजह से अनेक किसान इस तकनीक को अपनाने पर जोर दे रहे है।अधीकाँश कीसानो के खेतों को देखे तो तार फेंसीग नुमा बाउंड्री दिखाई देती है जिसमे बारीक तार लगाया गया है और उस तार में बैटरी का करंट 24 घण्टे प्रवाहित होते रहता है।इस तकनीक की खासियत यह है की कोई भी जानवर इस पतले तार को देख नही पाता और जैसे ही खेत मे प्रवेश होने की जुर्रत करता है उसे जोर का झटका लगता है और कुछ देर बेहोशी की हालत में रहकर रफूचक्कर हो जाता है।उसके बाद पुनः उस खेत की ओर जाने का साहस खो बैठता है।इस तकनीक को सबसे पहले अमल में लाने वाले ग्राम केलबेहरा के उन्नतशील किसान धनराज गावंडे ने बताया की इस बेल्ट के सैकड़ो कीसानो के खेत जंगल एरिया में होने से जंगली जानवर खासकर जंगली सुवर खूब नुकसान पहुचाते थे।संतरे के बगीचों से लेकर तमाम तरह की फसलों को बेहद नुकसान पहुचाते रहते थे जिसके कारण किसान रतजगा भी करते थे उसके बावजूद जंगली जानवरों के झुंड से फसलों की हिफाजत करने में नाकाम साबित हो रहे थे ऐसे में कहते है न की आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है सो कीसानो ने इससे निजात पाने का सुरक्षीत जरिया ईजाद कर ही लिया।धनराज गावंडे के अनुसार उन्होंने सबसे पहले कुछ एकड़ में इस तकनीक को आजमाया जिसमे वे सफल हो गए तो लगभग उनके सभी खेतो में इस तकनीक का उपयोग करने लगे है।इस तकनीक की एक यह भी खासियत है की इंसानों से लेकर जानवरो को किसी भी प्रकार का कोई नुकसान नही पहुचता है बस जोर के झटके के साथ एक सबक मिलता है की उस खेत मे दाखील होना खतरे से खाली नही है।गावंडे की ईजाद की गई तकनीक को देखते देखते प्रत्येक किसान उसको अमल में लाकर इस तकनीक पर कार्य कर रहे है और अपनी फसलो को सुरक्षा प्रदान करने में लगे है।