कुछ तो साज़िशें रही होंगी वरना भारत जैसे खूबसूरत देश में टूरिज़्म का अर्थ ताजमहल नहीं होता।
क्या कारण रहा कि दुनियाँ में किसी भी किताब के किसी भी पन्ने पर भारत लिखा हुआ हो तो वहाँ पर सिर्फ लाल किला, कुतुबमीनार और ताजमहल की तस्वीरें ही छापीं गईं? आज हमें यह अवश्य ही सोचना चाहिए।
भारत में मुग़लों के इतने बड़े बड़े आक्रमणों के बाद भी हमारे देश में बहुत खूबसूरत नक्काशी के मंदिर मौजूद हैं, जिनकी सुंदर कारीगरी के सामने ताजमहल भी पानी मांगता है। हिंदू सोया हुआ है और ऐसा प्रतीत होता है कि हिंदुओं को इन दुर्लभ कलाकृतियों से कोई मतलब नहीं है। जैसे हिंदुओं की चेतना और विवेक मर चुका है।