बालपल को भरपूर जीने दें... जो सपने मां-पिता नहीं पूरे कर पाए, उन्हें आपके बच्चे पूरा करेंगे, ये उम्मीद न पालें। बचपन ही वो वक्त है जब बच्चे अपने लिए जीते हैं। बच्चों का बचपन न छीनें, अपनी नौकरी-पानी के साथ-साथ बच्चो संग खूब वक्त बिताएं। बच्चों को प्यार करें, लेकिन उन्हें लाड़ में न सड़ायें। वक्त-वक्त पर बच्चों को डांटें-फटकारें। बच्चों को हर बार मन की न करने दें। उनकी हर इच्छा पूरी न करें। बच्चों में 'न' सुनने की आदत भी डालें। बच्चों को आभाव में जीने की कला भी सिखाएं, ताकि वह जीवन के हर संघर्ष को सहन कर आगे बढ़ सके।
बच्चों को फेल होना सिखाएं, ताकि वह कहीं फेल हो तो सहन करने की शक्ति उसमें हो।
बड़ी नौकरी के ख़्वाब ही न बुनें। उन्हें छोटे में भी खुश रहना सिखाएं।
आजकल बच्चे खूब पढ़ लिख रहे हैं, लेकिन उनमें संस्कारों की कमी है। बच्चे अगर बिगड़े हैं तो मां-बाप के संस्कारों में कहीं न कहीं कमी जरूर रह गई है।
बच्चों को सिर्फ अच्छी शिक्षा ही न दें, उन्हें आप अच्छे संस्कार देंगे तो आपका बच्चा सर्वश्रेष्ठ होगा।
इसके साथ ही बाल दिवस की शुभकामनाएं...
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