सीसीडी ( कैफे काफी डे )

सीसीडी ( कैफे काफी डे ) के सीईओ ने आत्महत्या कर लिया है , पुलिस छानबीन कर रही शायद ही जीवित हों , मंगलुरु में पुल से ड्राइवर को कार रोकने को कह के कूद गए 


 अपने एम्प्लाईज को लेटर लिख कहा है 


सारी गलतियों का जिम्मेदार मैं हूँ !


भारत की सबसे बड़ी बदनसीबी ये है , कि हम एक पूंजीपति होने का रिस्क , उस मानसिक तनाव , उस स्थिति को आज तक नही समझ सके हैं


इसलिए भिखमंगे हैं !


हमारी बहुंसख्यक आबादी अमीरों से नफरत करती है क्योंकि इनके पास पैसा नही है ,


ये भूल जाते हैं कि 100 लोगो के स्टाफ की भी कंपनी चलाना मामूली काम नही होता ,


खून पसीना एक करना पड़ता है , बैठे बिठाए सब्सिडी पर पलने वाली जनता ये भूल जाती है कि उसकी सब्सिडी भी कारपोरेट टैक्स से आती है


तुम तो अपनी कमाई का टैक्स LIC की पॉलिसी लेकर बचा लेते हो !


जब तक भारत का सामान्य वर्ग और राजनैतिक पार्टियाँ अम्बानी को देश लूटने वाला बताएंगी तब तक दूसरा अम्बानी पैदा नही होगा


हाँ 10 नक्सली जरूर पैदा हो जाएंगे !


निठल्लों की फौज दिन भर फेसबुक पर पूंजीपतियों को गाली देती है , जबकि फेसबुक खुद एक पूंजीपति का है !


जलो नही गांव में दम पैदा करो और लायक बनो की तुम भी ऑडी से चल सको !


अम्बानी तो एक लाख लोगों को सीधे रोजगार देता है और दसियों लाख को अप्रत्यक्ष रूप से 


रहता है वो बिलियन डॉलर के मकान में तुमको क्यों दे अपना घर ?
तुमने अपने घर की एक इंच कभी अपने से गरीब को दी ?


नक्सली जिस हथियार से अपनी माटी और जंगल लेने आते हैं वो हथियार भी किसी पूंजीपति के कारखाने का होता है !


सामान्य वर्ग कहता है कि अमीरों ने सिस्टम खरीद लिए हैं , इनके समाने सब बिक जाते हैं , गरीब न्याय नही पा सकता 


एक बात बताओ , थाने में SI हो या सिपाही ये तो सामान्य परिवार से होते हैं , क्यों बिक जाते हो कुछ रुपयों के लिए ?


तुम बिकाऊ हो इसलिए अमीर बरी हो जाता है , कितने ही गुंडों को लोकसभा और विधानसभा तुम गरीबों ने ही वोट देकर भेजा


क्यों ?
क्योंकि अपने क्षेत्र की हुकूमत रहेगी , दबदबा रहेगा !


इन्ही लोगो के परिवार के लोग किसी टाटा किसी बिरला किसी अम्बानी की कंपनी में दो रोटी कमाते हैं 


और लड़का फेसबुक पर पूंजीवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है ,


रूस हो या कम्युनिस्टों का बाप चीन सब साले पूंजीवादी हो चले हैं, पर भारत मे इन्हें क्रांति चाहिए !


अच्छे बुरे ठग हर जगह हैं , पर इसका मतलब ये नही है कि उस प्रोफ़ेसन को ही इतनी लानत भेजो की अपने पैर पर ही कुल्हाड़ी मार लो ,


रविश कुमार जैसे लोग रोज अम्बानी अम्बानी करते हैं , जबकि NDTV खुद किसी पूंजीपति का ही है !


खुद पूंजीपति की संस्था में काम करते हो और गरीबो को चूतिया बनाते हो


बन्द करो ये गन्दा धंधा !
पूंजीपति होना साहसिक है सम्मानित है !
क्या तुम जानते हो एक व्यापारी होना कितना मुश्किल काम है ?????
सरकार व्यापारी के  टैक्स के पैसे से तुम्हे घर शौचालय फ्री शिक्षा मिड डे मील सब्सिडी सब कुछ तुम्हे देती और बदले में एक व्यापारी को सरकार से सुविधा के नाम पर घण्टा मिलता है
एक स्थपित व्यापारी जब मंदी या किसी वजह से बर्बाद होता है तो सरकार के तरफ से उसे कुछ नही मिलता।


तो हिंदुस्तानियों जलो मत बराबरी करो और तुम भी व्यापारी बनो कोई व्यापारी तुम्हे रोकेगा नही।