सजा

#सजा 
"एक वर्ष की कैद और पंद्रह हज़ार जुर्माना। जुर्माना न देने पर दो माह को अधिक जेलवास।" जज साहबने फैसला सुना दिया। फिर अपील के लिए सुचना दि कि "अगर तुम चाहो तो एक महीने के अंदर अंदर उच्चतम न्यायालयमें अपील के लिए जा सकते हो। और तबतक के लिए जमानत मिल सकती है। चाहो तो शाम कोर्ट उठने तकमें याचिका दे सकते हो"।
अपराधीने कहा "नहीं नामदार, मैं अपील भी नहीं कर सकता तो फिर जमानत की क्या जरूरत। आज से ही जेल भेज दीजिए दिन के बाद दिन कटता जाएगा। जुर्माना भी नहीं दे पाउगा तो चौदह महीने काटने है ना"।
सारा कोर्टरुम फैसला और आगेकी बातचीत गंभीरता से सुन रहा था। जज साहबने भी अपने फैसले से कुछ नाखुशी के भाव से पूछा "क्युं अपील नहीं करना चाहते"?
अपराधीने कहा "नामदार बैक कर्ज़ा के चेक रिटर्न का केस है, सभी साबितिया कागज पर है तो कौनसी अदालत मुझे छोड़ देगी. और वैसे भी हाईकोर्टमें  अपील रखने का ही खर्च पचास हज़ार. बादमें केसकी फिस बाकी, और मेरे सामने मुकदमा जो है वो ही पचहत्तर हज़ार की रकम के चेक का है। और अगर इतनी व्यवस्था हो जाती तो बैंक को ही दे देते ना!! 
जज साहबने एक निश्वास डालते पूछा "क्युं लिए थे पैसे?"
अपराधीने कहा "साहब बाइस सालका बेटा था जो भुंड और नीलगाय के घुसपैठ से खेतकी सुरक्षा के लिए हररोज मेरे साथ खेतके दूसरे कौने के माचडे पर सोता था. उस रात आएं भुंडोकी टोली को भगाने गया तो अंधेरेमें साप के उपर पैर पड़ गया और सापने डंस लिया। पंद्रह दिन अस्पतालमें रखा छे लाख रुपये का खर्चा हुआ फिर भी बेटा नहीं रहा। करजा रहे गया क्युं कि सारा का सारा पैसा कर्ज़ ही किया था। जिसमें पचहत्तर हज़ार रुपये बैंकसे लिए थे। नहीं भर पाया। कुछ शाहुकारो से लिए गए पैसे तो उन्होंने बेटेकी मृत्यु पर छोड़ दिए। पर ए तो बैंकका कर्ज़ा। बैक को तो देना ही पड़ेगा। आपने जो सजा सुनाई वो तो चेक रिटर्न के अपराध की सुनाई कर्ज़ा तो फिर भी बाकी रहेगा। जेलसे आकर चुकाना पड़ेगा"।
जज साहब भी कुछ भावना से प्रेरित होते दिखाई पड़े, और पूछा "अब तक नहीं चूका पाए तो बादमें कैसे चूका पाओगे?"
चौदा महीने की सज़ा का एलानी अपराधी पुरे कोर्टरुम और जज साहब समेत सभीको अचंभेमें डालते हुए हंस पडा़ और बोला "साहब वो तो हुई सोचने वाली बात, किंतु इतना लंबा सोचने की हम किसानों की आदत ही कहां बनी है। हमें तो हमेशा आज के चलते ही  हर काम करना पड़ता है, बीज भी आज बोते है आज के आधार पर और कर्ज़ा भी लेते है आज के आधार पर क्युं कि हमारा कल कभी भी हमारे हाथमें कहां होता!!"